"वर्ल्ड डायबिटीज डे"- 14 नवंबर

मुंबई: "तुम तो ठहरे परदेशी"  एक ऐसा गाना जिसने अपने ज़माने में लोगों के दिलों में  राज किया और आज भी लोग इस गाने के दीवाने हैं,

हम आज अपने ख़ास इंटरव्यू के माध्यम से उस प्रसिद्ध गायक  के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अपनी आवाज़ एवं गाने के द्वारा लाखों लोगों को दीवाना बना दिया, "अल्ताफ राजा" - अंशिका मीडिया की टीम के प्रमुख  "नवदीप चतुर्वेदी" से बात- चीत के द्वारा अल्ताफ राजा ने अपने करियर के सफर के बारे में बात की अल्ताफ इब्राहिम मुल्ला जिन्हें लोग आज "अल्ताफ़ राजा" के नाम से जानते हैं,उनके पिता इब्राहिम इक़बाल जी एवं माँ रानी रूप लता दोनों ही अपने समय के सुप्रसिद्ध क़व्वाली गायक थे,परिवार में 2 भाई और 2 बहनो में अल्ताफ़ बड़े थे,परिवार में संगीत का माहौल होने के कारण बचपन से ही अल्ताफ़ को संगीत में रूचि थी,अल्ताफ़ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुणे में की एवं उसके बाद मुंबई में पढाई के साथ साथ महान गायकों को देखने और सुनने का मौका भी नहीं छोड़ा, संगीत के इस सफर में अल्ताफ़ को अपने माता-पिता का भरपूर सहयोग मिला,जिसके चलते उन्होंने संगीत की शिक्षा लेना प्रारंभ कर दिया,इसी कड़ी में अल्ताफ़ ने पंडित प्रकाश शर्मा जी  से हारमोनियम,इक़बाल खान जी से तबला एवं गोविन्द प्रसाद जयपुर वाले जी से गायन की शिक्षा लेना प्रारंभ कर दिया,उनकी संगीत की शिक्षा के दौरान उनकी माता जी उन्हें रोजाना रियाज़ कराती थी, माता -पिता के सहयोग एवं उनके आशीर्वाद व अल्ताफ़ की मेहनत से उन्हें वर्ष 1988 में पहली बार गायक के रूप में मंच पर शो करने का मौका मिला,जिसके बाद से अल्ताफ़ ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा,अपने करियर के सफर के दौरान एक दिन अचानक अल्ताफ़ की मुलाक़ात मो. साफी नियाज़ी जी से हुई जो की वीनस म्यूजिक कंपनी में उर्दू सेल के प्रमुख थे, नियाज़ी जी ने अल्ताफ़ को वीनस म्यूजिक कंपनी के डायरेक्टर श्री चंपक जी जैन से मिलवाया जिसके बाद वर्ष 1993 में "सजदा रब को कर ले" एल्बम वीनस कंपनी द्वारा रिकॉर्ड किया गया,जिसके साथ ही अल्ताफ़ ने वीनस म्यूजिक कंपनी से करार कर संगीत के सफर में आगे बढ़ने लगे,
एक अन्य दौर तब शुरू हुआ जब एक दिन 1996 साफी जी ने उस ज़माने के दौर को ध्यान में रखते हुए एल्बम बनाने का प्लान किया, जिसके चलते "तुम तो ठहरे परदेशी" एल्बम की रिकॉर्डिंग शुरू की गयी, उसके बाद तो इस एल्बम ने सारे रिकॉर्ड तोड़ने शुरू कर दिए और देखते ही देखते कुछ ही दिनों में लाखों लोगों की पसंद बन गयी, इस एल्बम ने आज भी अपना कीर्तिमान स्थापित कर के रखा है,इस एल्बम की सफलता ने अल्ताफ़ के जीवन में एक नया मोड़ ला दिया,अल्ताफ़ ने अपनी क़ाबलियत के बल पर अनेकों अवार्ड भी प्राप्त किये जिसमे से चैनल V द्वारा मिला अवार्ड भी प्रमुख है,
अल्ताफ़ ने अपने करियर में आगे बढ़ते हुए सिल्वर स्क्रीन में भी काम किया,अल्ताफ़ ने प्रसिद्ध अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती एवं जैकी श्रॉफ के साथ भी काम किया है, अल्ताफ़ ने त्रिशक्ति,चांडाल,यमराज,मदर,तिरछी टोपी वाले,बेनाम,कीमत,कंपनी आदि फिल्मों में भी अपना सफल योगदान दिया है,
अल्ताफ़ ने बताया जी वीनस म्यूजिक कंपनी से उनका गहरा और दिली रिश्ता है, उन्होंने वीनस के साथ वर्ष १९९६ से २००६ तक लगातार कई एल्बम रिलीज़ की जो कि " तुम तो ठहरे परदेशी,आज की रात न जा परदेशी,मुझे अपना बना लो,दो दिल हारे,दिल के टुकड़े हजार हुए,दिल का हाल सुने दिल वाला,कोई पत्थर से न मारे,ताजा हवा लेते हैं,एक दर्द सभी को होता है,फिर परदेशी अंदाज में,अगर तुम मिल जाओ,हरजाई" थे,
अल्ताफ़  देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने फैंस की पसंद बने हुए हैं, जिसके चलते देश विदेश में उन्हें स्टेज के माध्यम से अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता रहा और वो दर्शकों और श्रोताओं की पसंद बने रहे,
अल्ताफ़ ने अपने फैंस की पसंद को ध्यान में  रखते हुए हाल ही में  कुछ  सांग रिलीज़ किये हैं जो कि  "इतनी खुश्बू न लगाओ"  एवं "तुम चले जाओगे" हैं, इन गानों को यूट्यूब चैनल के माध्यम से सुना जा सकता है, अल्ताफ़  आने वाले समय में अपने फैंस के लिए जल्दी है कुछ और नए गाने ले कर आने वाले हैं, तब तक  उनके फैंस को कुछ इन्तजार करना पड़ेगा,
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